20 हजार फिल्म गीतों के रागोपिडिया ग्रंथों की और विशेषताएं


पार्श्वगायिका कविता कृष्णमूर्तिने युगसर्जक शास्त्रीय गायक ऊस्ताद अमीक खान का एक साक्षात्कार मद्रास (हाल चेन्नई) रेडियो पर किया था / उस साक्षात्कार में ऊस्ताद अमीर खान ने हिन्दी फिल्म गीतों के बारे में एक खूबसुरत बात कही थी / उन के कथन का सार सिर्फ इतना था कि हम जैसे ऊस्तादों ने कई सालों तक रियाझ किया है लेकिन कभी कभी ऐसा होता है कि महफिल में आधे पौने घंटे तक गाने के बाद भी हम राग की हवा नहीं पैदा कर सकते / हिन्दी फिल्म संगीतकार यह काम सिर्फ ढाई तीन मिनट के गीत में कर दिखाते हैं / राग आप के सामने खडा हो जाता है / ऊस्तादजीने यह भी कहा कि जब सरदार वल्लभभाई पटेलने राजरजवाडे विलीन कर दिये तत्पश्चात शास्त्रीय संगीत का जतन हिन्दी फिल्म संगीतकारों ने बखूबी किया है /

पिछले शु्क्रवार को हमने भारतीय संगीत के प्रखर विद्वान और निवृत्त रेलवे वरिष्ठ अफसर श्री के एल पांडेजी के रागोपिडिया ग्रंथों के बारे मे बात शुरु की थी / आज इस लेख में आगे बढते हैं / पीछले 28 सालों से अथक परिश्रम कर के पांडेजी ने बीस हजार फिल्म गीतों का रागानुसार वर्गीकऱण किया है / रागोपिडिया के चौथे और पाँचवे ग्रंथ में भी आप ने फिल्म गीतों के अतिरिक्त कई ऐसी बातों का समावेश किया है जिस के बारे में इस से पहले कभी किसी लेखक-संशोधक ने नहीं लिखा है / 1931 में आयी सब से पहली टॉकि आलमआरा से लेकर 2020 तक की फिल्मों के गीतों का रागानुसार वर्गीकरण एक भगीरथ कार्य है / 

पतियाला घराने के विश्वविख्यात गायक  पंडित अजय चक्रवर्तीने आप को इस कार्य के लिये प्रोत्साहित किया /

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चौथे और पाँचवे ग्रंथ में इस वर्गीकरण के अतिरिक्त और भी बातों को समाविष्ट किया गया है / यह सभी बातें सही मायने में अनोखी और बेजोड है / रागो की प्राथमिक समज देने के बाद आप ने और बातों को प्रस्तुत किया है / आइये उस का भी आस्वाद लेते हैं / मान लिजिये कि आप कौन बनेगा करोडपति स्पर्धा के लिये मेगास्टार अमिताभ बच्चन के सामने बैठे हैं / आप फिल्म संगीत के चाहक हैं ऐसा जानने के बाद वे आप को एक प्रश्न करते हैं- पिछले 90 सालों में हिन्दी फिल्मों में कितनी लोरियां आयी है ? अथवा यह ऐसा प्रश्न है कि फिल्म गीतो में कितने रूतु गीत आये हैं जैसे कि बरखा, बसंत, हेमंत, पतझड वगैरह / 

रागोपिडिया के चौथे और पाँचवे ग्रंथो में रागानुसार वर्गीकरण के अतिरिक्त अब तक  सुनने मीली लोरियां, रूतु गीत, शिशु गीत, गझलें, भक्तिगीत, लोकगीत, भूतप्रेत संबंधी गीत कितने आये उस का विवरण है / इतना ही नहीं, उपशास्त्रीय संगीत के सब से लोकप्रिय गायन प्रकार ठुमरी आधारित गीतों की सूचि भी यहीं है / देशभक्ति के गीत, सूफी संगीत आधारित गीत, साहित्यिक रचनाएं, शुद्ध ऊर्दू शब्दों पर आधारित गीत, कोठे पर गाते हैं ऐसे मुजरा गीत... अर्थात् यहां अनोखा वैविध्य हमारे सामने प्रस्तुत हो रहा है / यह ग्रंथों का निर्माण श्री पांडेजी और उन के साथी-सहायकों ने अठ्ठाइस सालों के परिश्रम के बाद तैयार किया है / सच पूछो तो पैसों से इस विराट कार्य का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता / आप ने लाखों संगीत रसिकों को इस कार्य के द्वारा उपकृत किया है / भारतीय संगीत के विद्यार्थी, ईतिहासकार, पत्रकार, संगीत समीक्षक, संगीत रसिक आम आदमी, इन सभी के लिये यह पाँचों ग्रंथ रेडी रेकनर जैसे बने हैं / इस कार्य के लिये श्री पांडेजी और उन के साथीयों को लाख लाख अभिनंदन दें तो भी कम हैं / पाँचसौ हजार सालों में ऐसा अनुठा कार्य कोइ भगीरथ कर सकता है / यह उन की दुलर्भ कही जा सकें ऐसी सिद्धि है / इस सिद्धि के लिये आप और आप  के साथीयो का खूब खूब शुक्रिया /


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