वरिष्ठ संगीतकार रवि के साथ लेखक के एल पांडेजी
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भारतीय शास्त्रीय संगीत के अध्यापन से जुडे हुए बहुत से संगीत शिक्षकों की एक शिकायत रही है कि आज के बच्चों को शास्त्रीय संगीत में दिलचस्पी नहीं है / इस विषय में एक वरिष्ठ फिल्म संगीतकार से साथ बात हो रही थी तब उन्हों ने एक बहुत ही खूबसुरत बात कह दी / आप ने कहा, हकीकत यह है कि कोमल पौधे जैसे बच्चों को राग के व्याकरण की बात नहीं करते हुए राग आधारित एक दो फिल्म गीत सुना दीजिये. बाद में समझाइये कि शास्त्रीय संगीत की परिभाषा में इसे फलां राग कहते हैं / मिसाल के तौर पर मानो कि बच्चा राग भूपाली सीख रहा है. उसे लता के गाये हुए दो गीत पहले सुना दो / पंछी बनुं उडती फिरुं मस्त गगन में, आज मैं आझाद हुं दुनिया के चमन में.. (फिल्म चोरी चोरी, संगीत शंकर जयकिसन) या फिर यह गीत- सायोनारा सायोनारा वादा निभाउंगी सायोनारा ... (फिल्म लव इन टोकियो, संगीत शंकर जयकिसन) / तत्पश्चात उसे समझाइये कि यह राग भूपाली पर आधारित गीत है. इस राग में पांच शुद्ध स्वर लगते है- सा, रे, ग, प, ध / बच्चा जीवनभर राग भूपाली भूल नहीं पायेगा ऐसा मेरा दावा है, वरिष्ठ संगीतकार ने कहा /
प्रत्येक संगीत शिक्षक, संगीत समीक्षक और संगीत में रसरुचि रखनेवाले सभी के लिये
उपयोगी ऐसा एक भगीरथ कार्य भारतीय रेलवे के एक वरिष्ठ (वर्तमान में) निवृत्त अधिकारीने किया है / यह अधिकारी स्वयं भारतीय संगीत के मर्मज्ञ और संशोधक-लेखक है. गुजरात समाचार के पाठक अब इस नाम से अच्छी तरह परिचित हैं / यह वही एल के पांडेजी हैं जिन्हों ने हमे रागोपिडिया नाम के ग्रंथ दिये हैं / 1931 से लेकर 2020 तक की समयावधि में आये 20 हजार गीतों का संकलन हिन्दी सिने राग एन्सायक्लोपिडिया नामसे आप ने प्रकाशित किये हैं. 28 साल तक अथक पुरुषार्थ और संगीत के अभ्यासी साथीयों का सहयोग पाकर आपने यह भगीरथ कार्य किया है /
इस स्तंभ में पहले आप पढ चूके हैं कि रागोपिडिया के पहले दो खण्ड में गीत के मुखडे से वर्गीकरण किया गया था / कौन सा गीत कौन से राग में हैं इस का विवरण मुखडे से किया गया था / अब के एल पांडेजी और उन के साथीयों ने रागानुसार वर्गीकरण प्रस्तुत किया है. खण़्ड तीन, चार और पांच में यह विस्तृत कार्य किया है / तीसरे खण्ड में राग आभोगी से लेकर राग कालिंगडा तक के 82 रागो पर आधारित गीतों का वर्गीकऱण किया है / चौथे खण्ड में राग पहाडी से राग जिला तक के 51 रागों पर आधारित गीतों का पृथक्करण है और अंतिम खण्ड में राग कामोद से राग नीलांबरी तक के 41 रागों पर आधारित गीतों का विवरण है. इस तरह 1931 से लेकर 2020 तक के बीस हजार गीतों का रागानुसार वर्गीकरण तैयार किया गया है / पहले दो खण्डों की तरह यहां पर भी आठ विभागों के टेबल बनाये गये हैं /
पतियाला घराने के जगप्रसिद्ध गायक पंडित अजय चक्रवर्ती के साथ लेखक
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इस के अतिरिक्त यहां प्रत्येक राग का अल्प परिचय भी दिया गया है / बात सिर्फ इतनी नहीं है / प्रत्येक खण्ड के अंत में अद्वितीय पूर्ति भी दी है / इस पूर्ति भी विशेषता भी अनोखी है / क्या है यह पूर्ति में, पढिये / सर्वप्रथम टोकी आलमआरा (1931) से लेकर 2020 तक भारती संगीत के कौन से दिग्गजों ने अपना कंठ फिल्म गीतों में दिया है उस का संकलन यहां है / मिसाल के तौर पर यह नामावलि देखिये-
पाकिस्तान स्थित (स्वर्गीय उस्ताद) सलामत अली और उस्ताद नझाकत अली, नुसरत फतेह अली खान, राहत फतेह अली खान, भारतीय संगीत के दिग्गज उस्ताद अमीर खान, उस्ताद बडे गुलाम अली खान, बेगम अख्तर, पंडित भीमसेन जोशी, बनारस घराने के पंडित (स्वर्गीय) राजन और पंडित साजन मिश्र, पंडित जसराज, विदूषी श्रीमती किशोरी आमोनकर, देवकी पंडित, बेगम परवीन सुलताना, शुभा मुद्गल वगैरह / इस के उपरांत और भी दिलचस्प बातों का समावेश इस तीसरे खण्ड में है/ तराना आधारित फिल्म गीत ( जैसे कि फिल्म दिल ही तो है का लागा चुनरी मे दाग छूपाउं कैसे- गायक मन्ना डे, संगीत रोशन) / कौन से गीत पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत आधारित है, कौन से गीत रवीन्द्र संगीत पर आधारित हैं आदि बातें इस खण्ड की विशेषता है. ऐसी अनोखी और विशिष्ट बातों का प्रशंसनीय संकलन इस तीनों खण़्ड में मौजुद है. (अधिक रसप्रद बातें अगले शुक्रवार को.)
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