शास्त्रीय गायक पंडित अजय चक्रवर्ती की राय मिलने के बाद श्री कन्हैयालाल (के. एल) पांडे ने अपने इस विराट कार्य का आयोजन शुरु किया. शास्त्रीय संगीत से जुडे गायक, वादक और शास्त्रज्ञ विद्वानों की एक टीम बनायी. उन से साथ विचार विनिमय शुरु किया. संगीत के संदर्भ ग्रंथ प्राप्त किये.
दूसरी और बम्बई आना जाना शुरु किया. फिल्म संगीत से जुडे वरिष्ठ संगीतकारों को मिलना शुरु किया. संगीताकर खय़्याम, संगीतकार रवि, संगीतकार (लक्ष्मीकांत ) प्यारेलाल, संगीतकार (कल्याणजी ) आणंदजी इत्यादि से मिले. फिल्म गीतों को यादगार बनाने में अपने वाद्यों का विनियोग करनेवाले साजिंदे और म्युझिक एरेंजर्स से भी विचार विनिमय किया. खास तौर पर एकोर्डियन और प्यानोवादक- एरेंजर केरसी लोर्ड, असंख्य गीतों में अपनी सारंगी का जादु बिखेरनेवाले पंडित राम नारायण और वरिष्ठ मेंडोलीन-सरोदवादक-एरेंजर किशोर देसाइ से मिले और पुराने तथैव यादगार फिल्म गीतों के बारे में प्रश्नोत्तर किये.
वास्तव में यह कार्य बहुत ही कठीन था. सब से पहले तो 1931 से लेकर अब तक की फिल्मों के गीत प्राप्त करने थे. पुराने जमाने में गीतों की रिको़र्ड पर गायकों के नाम नहीं प्रकाशित होते थे बल्कि फिल्म की कथा के पात्रों के नाम प्रकाशित होते थे. अतैव कौन सा गीत किस ने गाया है वह तय करना था. इस लिये पांडेजीने जितने गीतकोष उपलब्ध थे वे सभी खरीद लिये. विशेष तौर पर कानपुर के हरमिंदर सिंघ हमराज के सभी गीतकोष प्राप्त किये. हमराज ने 1931 से लेकर सभी दशकों की फिल्मों के गीतों का कोष तैयार किया है. दूसरे लोगों ने भी ऐसे गीतकोष प्रकाशित किये हैं.
यहां और एक बात समज लेनी आवश्यक है. उत्तर भारतीय और कर्णाटक संगीत के मिलकर भारतीय संगीतमें 34 हजार से ज्यादा राग-रागिणी है. सभी राग-रागिणी का उपयोग फिल्म संगीत में नहीं होता है. हमारे शास्त्रज्ञों ने कहा है- रंजयति इति रागः अर्थात् जिस के प्रयोग से सुननेवाले का मनोरंजन हो वह राग है. पांडेजी और उन के साथीयों ने हजारों फिल्म गीतों को एक से अधिक बार सुना. तत्पश्चात् एक निष्कर्ष निकाला कि हमारे फिल्म संगीतकारों ने कुल मिलाकर 174 राग-रागिणी का उपयोग फिल्म गीतों में किया है.
आपने यह भी ढूंढ नीकाला कि सब से ज्यादा फिल्म गीत राग पहाडी में है. पहाडी में 5,200 गीत हैं. उस के बाद अनुक्रम से राग खमाज में 3,500 गीत, नटभैरवी में 3,200 गीत ( इस रागिणी को शुद्ध रिषभवाली भैरवी भी कहते हैं), राग काफी में 2,600 गीत, भैरवी में 2,200 गीत, कीरवाणी में 1,000 गीत, राग पीलु में 900 गीत, यमन एवम् यमन कल्याण में 600 गीत, बिलावल में 800 गीत, झिंझोटी में 700 गीत और चारुकेशी में 500 गीत स्वरबद्ध हैं. कई गीत ऐसे भी हैं जो कि ऐक से अधिक रागों में अर्थात् रागमालिका में निबद्ध है. थोडे गीतों में राग के लक्षणगीत भी मौजुद हैं.
हजारों गीतों को सुनने के बाद उन सभी गीतों के राग और ताल तय होने के बाद सवाल यह पैदा हुआ कि इतने बडे पैमाने पर जो जानकारी हासिल हुयी उस का संकलन कैसे किया जाय. बहत सोचने के बाद आप ने ऐसा तय किया कि इस माहिती को सारणीबद्ध या सूचि के रूप में प्रस्तुत करना बहेतर रहेगा. जबरदस्त परिश्रम के बाद नव खंडवाला एक चार्ट जेसा खंडोबद्ध टेबल तैयार किया गया.
इस टेबल का स्वरूप कुछ ऐसा है- सब से पहले 1) क्रमांक, 2) गीत का मुखडा, 3) कौन सी फिल्म में यह गीत था और फिल्म किस वर्ष में रिलिझ हुयी, 4) किस गायक ने गाया है, 5) गीतकार कौन है, 6) संगीतकार कौन है, 7) कौन से ताल में है, 8) गीत का असली षड्ज (रुट नोट) कोन सा है और अंत मे 9) गीत कौन से राग में स्वरबद्ध है. यह बहुत ही कठीन काम था. इसी लिये मेंने आप से कहा कि स्वर्ग मे से पतित पावनी गंगा को लानेवाले भगीरथ जैसा यह परिश्रम था. करीब करीब अठ्ठाईस साल तक पांडेजी और उन के साथी बडे धैर्य के साथ यह अथक परिश्रम करते रहे.
रागोपिडिया की प्रथम आवृत्ति (संस्करण) में 17 हजार गीतों का समावेश किया गया था. 2017 में रागोपिडिया की प्रथम आवृत्ति प्रकाशित हूयी. दोस्तों और शुभेच्छकों के सुझाव का अमल करते हुए पांडेजीने दो खंडेां में रागोपिडिया तैयार किया. प्रथम खंड हिन्दी में और द्वितीय खंड अंग्रेजी में है. प्रथम आवृत्ति का लोकार्पण संगीतकार (कल्याणजी) आणंदजीभाई ने किया. यह प्रथम आवृत्ति फटाफट बीक गयी.
तब तक पांडेजी और उन के साथीयों ने और तीन हजार गीतों का भी पृथक्करण कर डाला था. अतैव दूसरी आवृत्ति में कुल मिलाकर 6,200 फिलमों के 20 हजार गीतों का रागानुसार और तालानुसार पृथक्करण तैयार हुआ. यह लेख प्रकाशित होने जा रहा था तब रागोंपिडिया की दूसरी आवृत्ति भी खत्म होने आयी है. ऐसे भगीरथ परिश्रम के लिये पांडेजी को जितना धन्यवाद दें वह कम हगा. करोडो संगीतरसिकों को यह अद्वितीय भेंट है. उस के लिये हम सभी के एल पांडेजी के शुक्रगुजार हैं.
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