शंकर जयकिसन-84
सामवेद के युग से चले आते भारतीय संगीत में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो संगीत के विद्यार्थी को विस्मय का एहसास कराती है. पिछले अध्यायों में मैंन राग कीरवाणी के बारे में बताया था. पंडित विष्णु नारायण भातखंडेजी ने जिन दस थाटों में रागों का वर्गीकरण किया है उस में कीरवाणी कहीं भी समाविष्ट नहीं किया जा सकता, क्यों कि कीरवाणी में गंधार और धैवत वर्जित है. वैसे कीरवाणी कर्णाटक संगीत का राग है.
ऐसा ही एक और विस्मय राग बैरागी है. इस राग को भैरव थाट का माना गया है. अब भैरव में तो रिषभ और धैवत कोमल होते हैं. और रिषभ आंदोलित होता है, तभी राग भैरव का एहसास होता है. लेकिन बैरागी में रिषभ और निषाद कोमल है. यहां कोमल धैवत नहीं है, फिर भी विद्वान संगीतज्ञ इसे भैरव थाट का राग कहते हैं. अतैव इस राग का स्वरूप कुछ ऐसा होगा- सा, कोमल रिषभ, मध्यम, पंचम और कोमल निषाद- सा रि म प नि... सितार सम्राट पंडित रविशंकर ने इस राग को लोकप्रिय बनाया ऐसा कहा जाता है. शंकर जयकिसन ने इस राग में एक अद्भुत गीत दिया है. इस अद्याय में उस गीत का आस्वाद लेंगे.
बात फिल्म मेरे हुजूर की है. अख्तर हुसैन नाम का एक शायर नवाब सलीम का जान एक अकस्मात में बचाता है. अतैव नवाब सलीम उस को भी जागीर और नौकरी देता है. सल्तनत नाम की एक खूबसुरत और संस्कारी युवती से उस की शादी होती है. अचानक श्रीमंत होने पर अख्तर हुसैन गूमराह हो जाता है, शराब पीने लगता है, तवायफों के कोठे पर जाने लगता है. सल्तनत जब उसे रोकने की कोशिश करती है तब गुस्से में अख्तर उसे तलाक दे देता है.
अब ईत्तेफाक ऐसा है कि अख्तर हुसैन की शादी उसी लडकी सल्तनत से हुयी है जिस के साथ नवाब सलीम शादी करना चाहता था. लेकिन नवाब बदचलन माना जाता था इस लिये वह सल्तनत को पत्नी नहीं बना सका था. अपने पति को गूमराह होने के लिये सल्तनत नवाब सलीम को जिम्मेदार मानती है और नवाब की कोठी पर आकर शिकायत करती है कि अख्तर किसी फिरदौस नाम की तवायफ का दिवाना हो गया है.
नवाब अपने तरीके से अख्तर हुसैन का पीछा फिरदौस से छूडाता है. अख्तर सडक पे आ जाता है. अब अख्तर को अपन गलती का एहसास होता है. लेकिन अब करे क्या. उस ने सल्तनत को तलाक दे दिया है. पश्चात्ताप के आंसुं बहाते हुए वह एक गीत गाता है. हम उसी गीत का आस्वाद लेने जा रहे हैं. हसरत के शब्दों को शंकर जयकिसन ने राग बैरागी में स्वरबद्ध किये हैं. अगले अध्याय में हम उस गीत की बात करेंगे.
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