शंकर जयकिसन के थोडे यादगार गीत

 शंकर जयकिसन-83

 


अब तक हमने दिलीप कुमार,  राज कपूर इत्यादि बडे कलाकारों के लिये शंकर जयकिसन के संगीत की बात की. अब हम शंकर जयकिसन के अन्य एवरग्रीन याने यादगार गीतों की बात करेंगे. एक अनोखी घटना से आरंभ करें.

बम्बई (अब मुंबई) के महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन से करीब एक किलाटर दूर फेमस स्टुडियो है. एक दिन सुबह रोज की तरह शंकरजी स्टुडियो  पर पहुंचे और हार्मोनियम बाजा निकालकर कुछ बजाने गये इतने में फोन की घंटी बजी. शंकर ने फोन उठाया. सामने से जिस व्यक्ति की आवाज आयी वह सुनकर शंकर आदर से खडे हो गये. जी, फर्माइये शंकर ने नम्रता से कहा.

सारी फिल्म इन्डस्ट्री जिसे घमंडी और तरंगी दिमाग का कलाकार मानती है वह संवादों के बेताज बादशाह राजकुमार का फोन था. उन्हों ने कहा, शंकर मेरी बात ध्यान से सुनो.  आप के स्वरबद्ध किये एक गीत का फिल्मांकन मुझ पे होना है. मेरे हाथों में सितार भी है और मुझे गाते गाते सितार भी बजाने का अभिनय करने का है.

कोइ बात नहीं सर, मैं रईस खान को कह दूंगा, वह आप को सितार पर फिंगरींग आदि सब कुछ समझा देगा,  शंकर ने वही नम्रता से कहा.

अभी मेरी बात खत्म नहीं हुयी है शंकर, राजकुमारने कहा. मैं चाहता हुं कि तुम   इस गीत के फिल्मांकन में हाजिर रहो और मुझे मार्गदर्शन देते रहो...

राजकुमार जैसे तुमाखीदार आदमी की यह बात सुनकर शंकर भोंचक्के से रह गये. दोस्तों, यह बात  है फिल्म मेरे हुजूर के एक गीत की. भारतीय संगीत में गंभीर प्रकृति के माने गये राग दरबारी कान्हरा में स्वरबद्ध किये गये गीत झनक झनक तोरी बाजे पायलिया गीत की यह बात है. प्रणयभग्न कथानायक के  मनोभाव को इस गीत में जीवंत करना था.

वैसे तो बहुत कम लोग जानते हैं कि राजकुमार ने भी थोडे समय के लिये  सितारवादन की तालीम ली थी. उन दिनों उस्ताद विलायत खान मुंबई के मुहम्मद अली रोड पर एक रिश्तेदार के साथ रहते थे. राजकुमार उन सेस सितार के लेसन लेते रहे. लेकिन फिल्म मेरे हुजूर के इस प्रसंग में गीत के भाव के साथ साथ अपने मन की हताशा को व्यक्त करने की दोहरी जिम्मेदारी राजकुमार के कंधो पर थी.

फोन खत्म हुआ. जयकिसन के आने पर  शंकर ने उन्हें इस फोन की बात की. गीत के शूटिंग में शंकर और जयकिसन दोनों उपस्थित रहे. फिल्मांकन के दौरान राजकुमार कनखियों से बीच बीच में शंकर की और देख लेते थे कि सब ठीक तो जा रहा हैं ना... शंकर आंखों के ईशारे से राजकुमार का हौसला बढाते रहे.       

गीत गाने का अभिनय करने के साथ साथ सितार के सूरों पर ऊंगलियां फिराने का दोहरा अभिनय करना था. होठों के साथ साथ चहेरे पर भाव प्रकट करने थे और सितार बजती है ऐसा भी दिखाना था.

 संगीतकार शंकर और जयकिसन दोनों हाजिर रहे और गीत का फिल्मांकन अच्छी तरह हो गया. इस गीत को मन्ना डेने गाया है और काफी मुश्किल गीत था. दूसरे दिन सुबह राजकुमार फिल्मांकन देखकर काफी संतुष्ट हुए. इस गीत के पहले शंकर जयकिसन ने दरबारी कान्हरा का इस्तेमाल और गीतों में कान्हरा का इस्तेमाल और गीतों में भी किया था. जैसे कि हम तुझ से मुहब्बत कर के सनम रोते ही रहे (फिल्म आवारा), कोइ मतवाला आया मेरे द्वारे (लव इन टोकियो ), तु प्यार का सागर है (सीमा) वगैरह. लेकिन झनक झनक तोरी बाजे पायलिया गीत और फिल्म का वह प्रसंग दोनों ही खास किस्म के थे. अतैव राजकुमार ने संगीकारों की उपस्थिति उचित  समझी थी.

 


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