शंकर जयकिसन-82
शंकर जयकिसन के संगीत का आस्वाद लेते समय और एक विचार मेरे मन में आया. अब तक हम ने चोटि के कलाकारों के लिये परोसे गये संगीत की बात की. वैसे तो इन सभी कलाकारों के साथ परोक्ष रूप से अभिनेत्रीयों की बात भी आ जाती थी. मिसाल के तौर पर दिल एक मंदिर की बात हुयी तब मैंने फिल्म की नायिका सीता (मीना कुमारी ) के गीतों का उल्लेख किया था. टफिर भी इस अध्याय में मैं अभिनेत्रीयों की बात करना चाहुंगा. शंकर जयकिसन की पहली फिल्म बरसात में नर्गिस और नीम्मी हीरोईन थी. 1971 में जयकिसन और 1987 में शंकरजी का देहावसान हुआ. 1948 से इन दोनों की कारकिर्द करीब तीन दशक तक चली. इस समयावधि में अभिनेत्रीयों की भी तीन पीढी आ गयी.
नर्गिस और नीम्मी के बाद विविध अदाकारों के साथ साधना, पद्मिनी, मीना कुमारी, वैजयंतीमाला, माला सिंहा, आशा पारिख, वहीदा रहमान इत्यादि अभिनेत्रीयां फिल्मों में नायिका के रूप में चमकती रही. जीतेन्द्र और धर्मेन्द्र फिल्मों में आये तब नयी हीरोईन भी इन के साथ परदे पर आयी. जैसे कि राजश्री, सायराबानु, शर्मिला टैगोर-पटौडी, लीना चंदावरकर (अब गांगुली), हेमा मालिनी, कल्पना, विजया चौधरी वगैरह.
मजे की बात यह है कि अदाकारों की तरह शंकर जयकिसन ने इन सभी अभिनेत्रीयों के लिये भी अत्यंत मधुर और यादगार संगीत परोसा. राजश्री के लिये शम्मी कपूरने पियानो पर बैठकर ब्रह्मचारी फिल्म में गाया- दिल के झरोके में तुझ को बिठाकर... या फिर शर्मिला टैगोर के लिये गाया आसमान से आया फरिश्ता...कहने का तात्पर्य यह है कि शंकर जयकिसन ने अभिनेता और अभिनेत्री दोनों के लिये अपनी सर्जनकला का संपूर्ण उपयोग किया और हीरो की तरह हीरोईनों के लिये भी सुपरहिट गाने दिये. कभी किसी के लिये लताजी की आवाज ली तो किसी के लिये आशा भोंसले से गवाया. कभी सुमन कल्याणपुर की आवाज पसंद की तो कभी मुबारक बेगम की आवाज पसंद की. कभीकभार शारदा की आवाज पसंद की तो कभीकभार कविता कृष्णमूर्ति से गवाया. इन सभी गायिकाओं के गीत भी जबरद्स्त कामियाब हुए.
जहां जरूरत पडी इन दोनों ने शास्त्रीय राग आधारित गीत लिये जैसे कि फिल्म आरझू में साधना पर फिल्माया गया बेदर्दी बालमा तुझ को मेरा मन याद करता है राग चारुकेशी पऱ आधारित था तो मीना कुमारी पर फिल्माया गया फिल्म दिल एक मंदिर का हम तेरे प्यार में सारा आलम खो बैठे गीत राग तिलक कामोद पर आधारित था. जहां सुगम संगीत या पाश्चात्य शैली के गीत की जररूत थी वहां वैसा ही संगीत परोसा.
आप गौर कीजिये. तीन पीढी (जनरेशन) की अभिनेत्रीयां तीन दशक में फिल्मोद्योग में आयी. कभी किसी भी अभिनेत्री ने शंकर जयकिसन के संगीत के बारे में कटु वचन नहीं कहे. अर्थात् इन सभी अभिनेत्रीयांभी शंकर जयकिसन से संगीत से खुश थी. पटरानी जैसी फिल्म में तो शंकरजीने वैजयंतीमाला जैसी अव्वल क्लासिकल डान्सर को एक गीत में डान्स के स्टेप्स भी दिखाये.
अब आप के ध्यान में भी यह बात आ गयी होगी कि तीन तीन जनरेशन की अभिनेत्रीयों के लिये भी शंकर जयकिसन ने अपना सर्वोत्तम प्रदान किया और सभी नायिकाओं की भी प्रशंसा प्राप्त की.
-----------------
Comments
Post a Comment