शंकर जयकिसन-80
झुक गया आसमान अमरिकी फिल्म की कथा पर आधारित थी और इस फिल्म का संगीत शंकर जयकिसन ने कथा के अनुरूप और राजेन्द्र कुमार की इमेज के अनरूप तैयार किया था. लेकिन टी प्रकाश राव की फिल्म सूरज में आप का संगीत सूर्य के किरणों की तरह देदिप्यमान था. यह फिल्म पुराने राजपरिवार और उस में चल रही खटपटों की कथा पर आधारित था.
इस फिल्म में राजेन्द्र कुमार, वैजयंती माला और पहली बार खलनायक के किरदार में अजित ने काम किया था. इस फिल्म में शंकर जयकिसन ने एक शानदार प्रयोग किया. गौर से पढिये, अक्सऱ ऐसा देखा गया है कि शिवरंजनी रागिणी में गमगीनी के गीत बहुत आये. जैसे कि सारी सारी रात तेरी याद सताये (अजी बस शुक्रिया, संगीत रोशन), परदेशियों से न अखियां मिलाना (जब जब फूल खिले, कल्याणजी आणंदजी) वगैरह. खुद शंकर जयकिसन ने भी जाने कहां गये वो दिन (मेरा नाम जोकर) जैसे व्यथा भरे गीत इस रागिणी में बनाये हैं.लेकिन सूरज में आप ने एक अनोखा तजुर्बा किया. मुहम्मद ऱफी के गाये एक रोमान्सरंगी गीत में खुशी भर दी. वह गीत था बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है... इस गीत में खुशी व्यक्त करने के लिये शहनाई का समुचित उपयोग किया. संगीत रसिकों को यह गीत खूब पसंद आया और बिनाका गीतमाला में भी यह गीत बहुत बार प्रस्तुत किया गया. यह गीत छः मात्रा के दादरा ताल में निबद्ध था. इस गीत की बहुत सराहना हुइ.
इस फिल्म में भी आप ने अपनी मनपसंद रागिणी भैरवी में एक शास्त्रीय गीत दिया. यहां निर्देशक और संगीतकार दोनों ने मिलकर और एक अच्छा प्रयोग किया. वैजयंतीमाला तो आला दरजे की क्लासिकल डान्सर थी. उस के सामने राजेन्द्र कुमार एक कमजोर डान्सर था. इस लिये इस गीत में शंकर जयकिसन ने एक प्रयोग किया. वैजयंतीमाला 16 मात्रा के तीनताल में डान्स करती रही और राजेन्द्र कुमार हाथ में शहनाई लिये उस के इर्दगिर्द घूमता रहा. लता और मुहम्मद रफी की आवाज में वह गीत यह रहा, कैसे समजाउं बडे नासमज हो... आये गये तुम जैसे सैंकडो अनाडी... बहुत ही मजेदार तर्ज और लय बने रहे.
इस फिल्म से शंकर ने नयी गायिका शारदा को आजमाया. परिणाम यह हुआ कि लता मंगेशकर नाराज हो गयी और जयकिसन के देहावसान के बाद लता ने राज कपूर कैम्प से शंकर कि विदा कर दिया. इस फिल्म में शारदा ने गाया- तीतली ऊडी... गीत अच्छा था. लेकिन लता के मुकाबले में शारदा की गायकी और आवाज दौनों फिके लगते थे.
सूरज फिल्म हिट रही, उस नें रजत जयंती भी मनाई. इस फिल्म का संगीत काफी सराहा गया. इस फिल्म के लिये शंकर जयकिसन को फिल्म फेर एवोर्ड भी मिला. ऐसा होने पर संगीतकार नौशाद नाराज हुए और उन्हों ने फिल्म फेर एवोर्ड समिति को कह दिया कि आज के बाद कभी भी मेरे संगीत को आप एवोर्ड के लिये चयन ना करें. समीक्षकों ने ऐसा भी लिख दिया कि शंकर जयकिसन ने यह एवोर्ड खरीदा था. खैर, हमें इस विवाद में कोइ दिलचस्पी नहीं है. हम सिर्फ इतना कहेंगे कि सूरज फिल्म का संगीत बढिया था.
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