शंकर जयकिसन-79
पिछले अध्याय में हम फिल्म आयी मिलन की बेला के गीतों की बात कर रहे थे. उस फिल्म के बाकी के गीतों का आस्वाद इस अध्याय में लेंगे. गौर फर्माईये. एक खूबसुरत रोमान्टिक गीत शैलेन्द्र ने दिया है. दोनों मुख्य कलाकारों पर इस का फिल्मांकन हुआ था. मुहम्मद ऱफी और लता की आवाज में प्रस्तुत वह गीत यह रहा- ओ सनम तेरे हो गये हम, प्यार में तेरे खो गये हम, जिंदगी तो अय हमदम, आ गया मुस्कुराना...
जैसे खूबसुरत शब्द हैं, वैसी ही रंगीली तर्ज शंकर जयकिसन ने बनायी थी. कित्येक विद्वान यह गीत राग पहाडी में है ऐसा मंतव्य पेश कर चूके हैं. हकीकत में यह गीत को किसी राग की रचना नहीं कही जा सकती. जयकिसन जिस प्रकार की रोमान्टिक बंदिशे बनाता था वैसी ही यह एक रोमान्सरंगी तर्ज है.
एक मजेदार रचना मुहम्मद रफी की आवाज में है. मजे की बात यह है कि यहां रफी ने बहुत बढिया काकु प्रयोग किया है. शब्दों के भाव को प्रगट कर ने के लिये रफी ने अपनी आवाज को खास प्रकार से घुमाया है. शब्द है- तो बूरा मान गये... हसरत के लिखे इस गीत का मुखडा है, प्यार आंखों से जताया, तो बूरा मान गये... खेमटा ताल में निबद्ध इस गीत में शब्द और तर्ज के बीच दुग्धशर्करा जैसा रिश्ता नजर आता है.
हसरत ने इस फिल्म में एक मस्त बर्थ डे सोंग दिया है. शंकर जयकिसन की चहिती रागिणी भैरवी और खेमटा ताल में निबद्ध यह रचना लता ने अपनी हरकतों से बहलायी है. इस बर्थ डे गीत का मुखडा भी मजेदार है- तुम्हें और क्या दुं मैं दिल के सिवा, तुम को हमारी उमर लग जाय... क्या बात है. अपने प्रिय पात्र को जन्मदिन की शुभकामना देते वक्त इस से अच्छी भैंट और क्या हो सकती है.
इस फिल्म के सभी गीत हिट हुए थे ओर राजेन्द्र कुमार तथा सायरा बानु की इस फिल्म ने भी रजत जयंती मनायी थी. आयी मिलन की बेला के संगीत के लिये लिये इतना काफी है. अगले अध्याय में हम झुक गया आसमान के संगीत की झलक देखेंगे.
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