शंकर जयकिसन-75
आस का पंछी और ससुराल की प्रस्तुति के एक साल बाद फिर एक बार राजेन्द्र कुमार और शंकर जयकिसन साथ आये. अब की बार जो दो फिल्में उन्हों ने साथ साथ की उस में एक थी दिल एक मंदिर और दूसरी थी हमराही. इस अघ्याय में हम दिल एक मंदिर की बात करेंगे.
इस फिल्म की कथा काफी संवेदनशील थी. एक केन्सर निष्णात डॉक्टर धर्मेश के पास राम नाम का एक मरीज आता है. उस की पत्नी सीता एक जमाने में धर्मेश की प्रियतमा थी. ईत्तेफाक से राम को सीता और धर्मेश के प्रणय का पता चल जाता है. वह पत्नी से कहता है कि अगर मैं मर जाउं तो तुम धर्मेश से शादी कर लेना. धर्मेश अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर राम को बचा लेता है और खुद मर जाता है. धर्मेश का पात्र राजेन्द्र कुमार ने अदा किया था. राम के रूप में संवाद के बेताज बादशाह राज कुमार थे और सीता थी ट्रेजेडी क्वीन के नाम से मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी. सिर्फ 28 दिनों में एक अस्पताल में यह पूरी फिल्म शूट की गयी थी.
शंकर जयकिसन की सर्वोत्तम संगीत से सजी फिल्मों में इस फिल्म का भी समावेश करना चाहिये. शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीतों ने उन दिनों काफी तहलका मचाया था. आईये बात करें उन गीतों की.
राजेन्द्र कुमार के पात्र को दो गीत मिले थे. दोनों मुहम्मद रफी की आवाज में है. एक गीत राग पहाडी की झलक लेकर रचा गया. धर्मेश और सीता पर फिल्माया गया यह गीत प्रणय गीत था- यहां कोइ नहीं तेरा मेरे सिवा, कहती ही झूमती गाती हवा, तुम सब को छोडकर आ जाओ...
दोनों गीतों को राजेन्द्र कुमार ने भाववाही अदाकारी के साथ प्रस्तुत किया है. दिल एक मंदिर के पहले भी उस ने चिराग कहां रोशनी कहां फिल्म में मीना कुमारी के साथ डॉक्टर का रोल किया था. वह फिल्म भी हिट हुयी थी. दिल एक मंदिर भी जबरदस्त कामिय़ाब हुयी थी.
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