देव आनंद के वे गीत कैसे भूल सकते हैं....

 शंकर जयकिसन-64


अपनी जिंदगी के सातवे आठवे दशक में जीवन संध्या का आनंद ले रहे संगीत रसिकों को अवश्य याद होगा कि किस तरह देव आनंद की लव मैरेज, जब प्यार किसी से होता है और अन्य फिल्मों के गानों ने उन के उपर जादु बिखेरा था. शंकर जयकिसन ने इन सभी फिल्मों के लिये इतनी महेनत की थी कि  देव आनंद जैसे कलाकार भी अभिभूत हो गये थे.

यहां और एक बात कहना चाहुंगा. देव आनंद और शम्मी कपूर के व्यक्तित्वों की तुलना नहीं कि जा सकती. देव आनंद के व्यक्तित्व का भी एक करिश्मा था. भाल पर लहराते उन के विशिष्ट शैली से सेट किये हुए बाल, एक खंडित दांत की वजह से उन के स्मित में खीला हुआ चुंबकत्व और चलने फिरने की एक अलग अदा. लेकिन यहां जो बात मैं कहना चाहता हुं वो शंकर जयकिसन के संगीत की है. 

देव आनंद के लिये शंकर जयकिसन ने ऐसा संगीत परोसा कि देव आनंद के व्यक्तित्व का आकर्षण और बढ गया. मिसाल के तौर पर फिल्म असली नकली का एक गीत सुनिये. श्री वसंद देसाइ ने गूंज ऊठी शहनाई में राग बिहाग पर एक गीत दिया था- तेरे सूर और मेरे गीत... यह गीत छः मात्रा के दादरा ताल में था. इसी बिहाग राग में शंकर जयकिसन ने देव आनंद के लिये यह गीत परोसा- तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है, तेरे जुल्मो सितम सर आंखो पर... तर्ज में ताजगी तो है ही, रोमान्स भी अलग मिजाज में झलकता है. यहां भी छः मात्रा का ही खेमटा ताल है. ताल का ठेका इतना आकर्षक है कि सुननेवाला भी अपने पैर से ताल देने लगे.

स्वयं देव आनंद ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये हुए साक्षात्कार में कहा था कि शंकर जयकिसन ने मुझे एक नयी ताजगी का एहसास कराया. यहां और एक गीत की बात करें. फिल्म जब प्यार किसी से होता है का यह गीत याद कीजिये- ये आंखें उफ् युम्मा, ये सूरत उफ् युम्मा... आंखें बंद कर के यह गीत सुनिये. आप को ऐसा लगेगा कि यह तर्ज शम्मी कपूर के लिये भी फिट हो सकती है. 

और एक गीत लीजिये- फिल्म लव मैरेज का गीत है. इस में रोमान्स के साथ साथ ह्युमर (हास्य) भी मौजुद है. फिल्म का नायक क्रिकेटर है. उस की धुंआधार बेटिंग देखकर उस के दस्तखत (ओटोग्राफ ) लेने नायिका (माला सिंहा) आती है. यहां हसरत जयपुरीने क्रिकेट की टर्मिनोलोजी (पारिभाषिक शब्द) के साथ एक रोमान्टिक गीत दिया है. शंकर जयकिसन ने अपने संगीत से इसे यादगार बनाया. वह गीत यह रहा- शी ने खेला ही से आज क्रिकेट मेच, एक नजर में दिल बेचारा हो गया एलबीडबल्यू... यह गीत हिंग्लीश जैसा फ्यूझन हो गया. इस में हिन्दी के अतिरिक्त इंग्लीश भाषा के शब्द भी हैं. यह गीत सुनने पर ऐसा लगता है जैसे गीतकार और संगीतकारों के बीच क्रिकेट मैच चल रहा हो. गीत के शब्द और सूर दुग्धशर्करा जैसे एक हो गये हैं. 

ठीक ऐसी ही ताजगी और स्फूर्ति फिल्म असली नकली के गोरी जरा हंस दे तू गीतमें महसूस होती है. ऐसे यादगार संगीत से शंकर जयकिसन ने देव आनंद से शाबाशी भी प्राप्त की थी. उन्होंने अपने संगीत से देव आनंद को बेहद खुश कर दिया था.

  


Comments