शंकर जयकिसन-59 A
आय हेड ओलरेडी टेस्टेड स्वीट फ्रूट्स ऑफ हिट म्युझिक इन ध पास्ट व्हेन आय साइन्ड बाय अमिया चक्रवर्ती फोर फिल्म पतिता... देव आनंद मुझे अपना साक्षात्कार देते हुए शुरु मे ही कह रहे थे. (अमिया चक्रवर्ती की फिल्म पतिता साइन की उस से पहले मैं हिट संगीत का मजा ले चूका था). देव आनंद की बात सही थी. उन्हों ने गुरु दत्त निर्देशित दो फिल्में की थी- बाजी (1051) और जाल (192-52). दोनों फिल्मों का संगीत हिट हुआ था. उस फिल्मों में एस डी बर्मन का संगीत था. पिछले अध्यायों में मैं बता चूका हुं कि देव आनंद खुद भी संगीत के मर्मी थे और कॉलेज में के एल सहगल के गीत गाया करते थे.
अपनी बात का अनुसंधान मिलाते हुए देव आनंद बोले, वास्तव में वह जमाना डायरेक्ट्रर्स का था. डायरेक्टर के आगे हम कुछ भी बोल नहीं पाते ते. और फिर मेरी अभिनेता के तौर पर कारकिर्द अभी जमी नहीं थी अतैव यदि मैंने एसडी बर्मन का संगीत लेने का सुझाव पेश किया होता तो अमिया चक्रवर्ती इनकार कर सकत थे. शंकर जयकिसन ने मेरे दोस्त राज कपूर की फिल्मों में सुपरहिट संगीत देकर नयी हवा का ऐहसास कराया था, इस लिये मुझे भी उत्सुकता थी की अमिया चक्रवर्ती की फिल्म पतिता में वे कैसा संगीत परोसते हैं...
शंकर जयकिसन ने देव आनंद की भी थोडी फिल्मों में संगीत दिया. वे सभी फिल्में दूसरे निर्माताओं की थी, देव आनंद की कंपनी नवकेतन की नहीं थी. कुल मिलाकर शंकर जयकिसन ने देव आनंद के लिये कतरीबन साठ बासठ गीत दिये. सभी के सभी सुपरहिट हुए और शंकर जयकिसन का कमाल देखकर अचंभित हुए. देव आनंद और शंकर जयकिसन ने सब से पहले पतिता फिल्म में साथ साथ काम किया.
पतिता फिल्म की कहानी अमीर-गरीब का प्यार और बलात्कार का शिकार हुयी एक युवती की थी. देव आनंद और उषा किरण मुख्य भूमिका में थे. वैसे तो फिल्म के सभी गीत हिट हुए लेकिन यहां हम दो तीन गीतों की बात करेंगे. शंकर जयकिसन की जादुभरी भैरवी यहां एक गीत में मिलती है. गरीब घर की युवती को जब पहलीबार सच्चे प्यार का एहसास होता है तभी वह खुशी से गा लेती है- किसी ने मुझ को बनाके अपना मुस्कुराना सीखा दिया, अंधेरे घर में किसी ने हंस के चिराग जैसे जला दिया... इस गीत की तर्ज में नये उत्साह का संचार महसूस होता है. हसरत जयपुरी रचित यह गीत भैरवी रागिनी और ठीक ठीक द्रुत गति का कहरवा सुनने वाले को भी मुग्ध कर देता है. इस गीत का ओरकेस्ट्रेशन सुनने वाले को आवारा का घऱ आया मेरा परदेशी गीत याद दिलाता है.
राग पहाडी के आधार पर और एक अद्भुत प्रणय युगल गीत भी इस फिल्म का चिरंजीव गीत है. किसी ने मुझ को बना के अपना गीत की तुलना में इस गीत का कहरवा ठीक ठीक मंद्र गति का है. यह गीत की बंदिश भी जादुभरी है. याद किया दिल ने कहां हो तुम, झूमती बहार है कहां हो तुम, प्यार से पुकार लो जहां हो तुम ... यह गीत लता और हेमंतु कुमार की आवाज में पेश हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि एस डी बर्मन ने भी बाजी और जाल में देव आनंद के लिये हेमंत कुमार की आवाज पसंद की थी. शंकर जयकिसन ने भी हेमंत कुमार को देव आनंद के लिये पसंद किया और यादगार गीत दिया.
इस फिलम का और एक गीत खास है. मजबूरी से अपने जिस्म का सौदा करती एक वेश्या के पुत्र का किरदार करनेवाले आगा पर फिल्माया गया वह गीत तलत महेमूद की आवाज में है- अंधे जहां के अंधे रास्ते जायें तो जायें कहां... बलात्कार की पीडिता (उषा किरण ) आत्महत्या करने जाती है तब आगा उसे रोक लेता है और पनाह देता है. गीतकार शैलेन्द्र ने यहां परमात्मा को उलाहना देते हुए लिखा है, दुनिया तो दुनिया, तू भी पराया, हम यहां न वहां... गीत का प्रत्येक शब्द गरीब के दिल की बात प्रस्तुत करता है.
लेखक अजित पोपट देव आनंद के साथ, जब साक्षात्कार लेने का मौका मिला...--------------------------------------------------------------------------------
वैसा ही और एक अद्भुत गीत तलत की मधुर आवाज में है. ईंग्लीश कवि शेली का एक सदाबहार काव्य है- अवर स्वीटेस्ट सोंग्स आर धोझ व्हीच टेल ऑफ सेडेस्ट थोट... इसी काव्य के भावानुवाद जैसा वह गीत है- है सब से मधुर वह गीत जिन्हें हम दर्द के सूर में गाते हैं...
देव आनंद का साक्षात्कार किया तब उन्हों ने मुझे कहा था कि पतिता का संगीत मुझे विस्मित कर गया था. (इट वोझ सो मेलोडियस म्युझिक धेट आय वोझ सरप्राईझ्ड). देव आनंद के और गीतों की बात आगे चलने पर करेंगे.
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