शम्मी कपूर के लिये शंकर जयकिसन प्रेरक बने रहे

 शंकर जयकिसन-57

 


सुबोध मुखरजी की फिल्म जंगली शम्मी कपूर की कारकिर्द को आगे बढाने में बहुत महत्त्व की बनी रही. वैसे सुना है कि यह फिल्म देखने के बाद पापा पृथ्वीराज कपूर खुले दिल से हंसे थे. उन्हों ने बडे प्यार से कहा था, शम्मी तू इस फिल्म में चिम्पान्जी जैसा लग रहा है. हकीकत में जंगली फिल्म में शम्मी कपूर ने सोच समजकर पूर्वार्ध में बंदर जैसा रोल किया था. लेकिन उन के चाहनेवालों को यह किरदार बहुत पसंद आया.

जंगली फिल्म के संगीत की बात करते वक्त हमें यह भी याद रखना चाहिये के इस से पहले शम्मी कपूरने एक से ज्यादा हीरो वाली फिल्में की थी. मिसाल के तौर पर डायलोग्स के शहनशाह राज कुमार के साथ उजाला और दिल तेरा दिवाना में चोटि के कोमेडियन महेमूद. इन दोनों फिल्मों में भी संगीत शंकर जयकिसन का था. जंगली पहली ऐसी फिल्म थी जिस में अकेला शम्मी कपूर हीरो था. अर्थात् यह शम्मी कपूर की सोलो हीरो फिल्म थी. करीब पचास फिल्मों में शम्मी कपूर सोलो हीरो रहा और करीब अठारह बीस फिल्मों में पेरेलल रोल किया.

 यहां और एक बात ध्यान में लेने जैसी है. जंगली के बाद शम्मी कपूर की फिल्मों के शीर्षक (टाईटल) विचित्र आते रहे जैसे कि बद्तमीज, जानवर, लाटसाहब, पगला कहीं का, ब्रह्मचारी, प्रिन्स, राज कुमार इत्यादि. 

शम्मी कपूर के गीतों की बात करते वक्त यह भी ध्यान में रहना चाहिये कि यह अदाकार सदा तरवराट, थनगनाट से भरा हुआ रहता था. इस के गमगीन गानों में भी एक प्रकार का उत्साह भरा रहता था. जैसे कि दिल के झरोखों में तुझ को बिठाकर... और तुम मुझे युं भूला न पाओगे... शम्मी कपूर के साथ साथ शंकर जयकिसन ने पार्श्वगायक मुहम्मद रफी की कारकिर्द को भी जबरदस्त प्रोत्साहन दिया ऐसा कहने में कोइ हर्ज नहीं है. राज कपूर के लिये मूकेश और देव आनंद के लिये जिस तरह किशोर कुमार फिट माने जाते थे ठीक उसी तरह शंकर जयकिसन ने मुहम्मद ऱफी को शम्मी कपूर का पर्याय बना दिया.


लेखक अजित पोपट शम्मी कपूर का साक्षात्कार करते हुए

इसी सिलसिले में शम्मी कपूर ने मुझे कहा था, मैं तो ऋषीकेश-हरिद्वार में था. मुहम्मद ऱफी का देहांत हुआ है यह समाचार मुझ तक पहुंचे नहीं थे. लेकिन मैं जिस रिक्शा में जा रहा था उस रिक्शावालेने कहा, साहब आप की आवाज चली गइ. मैं समजा नहीं, मैंने कहा मेरी आवाझ को क्या हुआ है. मैं तो ठीक से बोल रहा हुं. 

तब रिक्शावाले ने कहा, शायद आप को पता नहीं है, मुहम्मद रफी नहीं रहे. अभी अभी रेडियो पे उन के निधन के समाचार आये... मैं तो भोंचक्का सा रह गया, अवाक् हो गया. यह मैं क्या सुन रहा हुं, मेरी समज में नहीं आया. पथ्थर की प्रतिमा जैसा हो गया मैं. जब हॉटल के पहुंचा तो छोटे बच्चे की तरह फूट फूट कर रो पडा मैं

तो यह बात है. उजाला में शम्मी कपूर के लिये मन्ना डे ने अपनी आवाज दी थी. जंगली से मुहम्मद रफी और शम्मी कपूर की जोडी बन गयी जो रफी के इंतेकाल तक बनी रही.. जंगली में शंकर जयकिसन ने तीन प्रकार की तर्जंी दी- शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और पाश्चात्य शैली की तर्ज.

फिल्म का शीर्षक गीत चाहे कोइ मुझे जंगली कहे.. शंकर जयकिसन की प्यारी भैरवी रागिणी पर आधारित था. वनराज शेर की तरह इस गीत में एक गर्जना थी, या...हु. यह गर्जना इस गीत की आगवी पहचान बन गयी. और एक राग आधारित गीत था एहसान तेरा होगा मुझ पर दिल चाहता है... राग यमन कल्याण पर आधारित यह गीत सिर्फ रफी की आवाज में था. बाद में लता ने भी यह गीत गाने की ईच्छा व्यक्त की और शंकर जयकिसन ने लता की आवाज में भी यह गीत प्रस्तुत किया.

लोकसंगीत आधारित दो गीत भी फिल्म जंगली में थे. ऐसा पहला गीत था जा जा जा मेरे बचपन कहीं जा के छूप नादां... और दूसरा गीत था दिन सारा गुजारा तोरे संगना, अब जाने दे मुजे मेरे सजना...

पाश्चात्य शैली का गीत यह रहा- अय्यय्या करुं मैं क्या सुकु सुकु, हो गया दिल मेरा सुकु सुकु... इस गीत में सुकु सुकु शब्दों का उपयोग करने का सुझाव शंकर का था. इस गीत का प्रभाव आर डी बर्मन पर बहुत पडा था. इन्हों ने फिल्म धरम करम में इस गीत का आधार लेकर एक गीत तैयार किया था.

यह थी फिल्म जंगली के गीतों की झलक. ठीक इसी तरह हम शम्मी कपूर के लिये शंकर जयकिसन ने रचे गीतों की झलक लेते रहेंगे.

 



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