Nursery rhymes जैसे सदाबहार शिशु गीत दिये

 शंकर जयकिसन-39

शंकर जयकिसन के संगीत की बात आगे बढाने से पहले इस अध्याय के शीर्षक के बारे में कुछ कह दुं. अंग्रेजी भाषा में बच्चों के लिये बनाये गये गीतों को, काव्यों को Nursery rhymes कहते हैं. जैस कि जेक एन्ड जिल वेन्ट अप ओन ध हिल... या बा बा ब्लेकशीप...शंकर जयकिसन ने अंग्रेजी शिशु गीतों के बराबरी कर सकें ऐसे भी थोडे शिशु गीत दिये हैं जो सदाबहार बन चूके हैं. पिछले अध्याय में हम रमेश सिप्पी की फिल्म अंदाज के गीतों की बात कर रहे थे. उसे अब आगे बढाते हैं. 

गीतकार फिल्म सर्जक गुलझार ने यथोचित कहा है कि बच्चों को खुश कर सके वह बाल साहित्य. बच्चे आसानी से गुनगुना सके वह हिट शिशु गीत. 1980 के दशक में मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने संगीतकार कल्याणजी आनंदजी के सूचन पर ऐसे थोडे शिशु गीत अपनी आवाज में गाये थे.

सच पूछो तो सुनते ही बच्चे गुनगुना लगे ऐसै गीतों का युग शंकर जयकिसन से शुरु हुआ ऐसा हम कह सकते हैं. आप को खयाल होगा की कीन्डरगार्टन में बच्चों को गीत के माध्यम से अंग्रेजी भाषा और अंक (पह्राडे) सीखाये जाते हैं. 

अंदाज के जिस गीत की बात करनी है वह बडा ही मजेदार गीत है. बच्चों को तत्काल खुश कर देता है. चुटकुला जैसी रचना है. कहा है, मैं तो बाजार में आलु लेने गया था लेकिन मेरे पीछे एक भालु पड गया... बच्चे ऐसा तो नहीं पूछेंगे कि बाजार में भालु आया कहां से ? रुठे हुए बच्चे को मनाने के लिये जिस प्रकार के चुटकुले प्रचलित है ऐसा ही यह एक गीत है.



सोचने जैसी बात यह है कि बूट पोलिश के बाद कारकिर्द के उत्तरार्ध में शंकर जयकिसन ने ऐसे शिशु गीत ज्यादा दिये. बीच बीच में उन को ऐसा अवसर प्राप्त नहीं हुआ. हीरो के किरदार में राजेश खन्ना की यह आखरी सुपरहिट फिल्म थी. वैसे देखा जाय तो इस फिल्म में राजेश खन्ना अतिथि भूमिका में था और शम्मी कपूर की हीरो के रूप में यह अंतिम फिल्म थी. बाद में वे चरित्र भूमिका करने लगे. अंदाज का संगीत खुद राजेश खन्ना को भी बहुत पसंद आया था, वर्ना उस की अन्य फिल्मों में एस डी और आर डी बर्मन तथा कल्याणजी आनंदजी हिट संगीत दे चूके थे. जिंदगी एक सफर है सुहाना राजेश खन्ना को अत्यधिक पसंद पडा था.

शंकर जयकिसन के शिशु गीत फिल्मों में काम करनेवाले बाल कलाकार की तरह बाल दर्शकों में भी बहुत लोकप्रिय हुए थे. यहां और एक दो शिशु गीतों की बात करना उचित रहेगा. एक गीत फिल्म बेटी बेटे में था जो लोरी जैसा था- आज कल में ढल गया, दिन हुआ तमाम... दूसरा गीत बर्थ डे (जन्मदिन गीत) जैसा था. फिल्म दिल एक मंदिर में बाल कलाकार और मीना कुमारी पर फिल्माया गया था. जूही की कली मेरी लाडली... नाजों की पली मेरी लाडली..यह दोनों गीत भी काफी लोकप्रिय हुए थे. सीता जिस बच्ची को प्यार करती है वह भी केन्सर की मरीज है और बेवा माता की इकलौथी पुत्री है. उस बच्ची के जन्म दिन पर अस्पताल में ही एक छोटी सी पार्टी आयोजित होती है जिस में मीना कुमारी यह गीत गाती है. इस गीत में बच्ची के गाल पर दिये गये चुंबन का ध्वनि भी गीत में समाविष्ट कर लिया गया था.     

यहां हम बेझिझक कह सकते हैं कि शंकर जयकिसन का संगीत पांच साल के बच्चे से लेकर 85 साल के बुझुर्गों को भी प्रफुल्लित कर देते रहे हैं.


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