नटखट बच्चों के लिये भी मस्त गीत बनाये

 शंकर जयकिसन-37




अनोखे प्रतिभा संपन्न गीतकार फिल्म सर्जक गुलझार ने एक बार कहा था कि बच्चों के लिये रचे जानेवाले साहित्य और काव्य के रचनाकार तो पुख्त वय के कवि-साहित्यकार होते हैं. बच्चों को खुश करना आसान नहीं है. उन के लिये ऐसी कविताएं होनी चाहिय कि सुनते ही वे समज जाय और नाचने लगे...

बात सोचने जैसी है. हमारी फिल्मों में भी एक से बढकर एक शिशुगीत बनाये गये और वे काफी हिट भी हुए. सभी संगीतकारों ने बच्चों के लिये गीत बनाये हैं और उन को अपने काम में कामियाबी भी हासिल हुयी. इस अध्याय में शंकर जयकिसन के बनाये शिशुगीतों की बात करनी हैं. ऐसे भी गीत हुए जो बच्चों पर फिल्माये गये या बच्चों को प्रभावित करने के लिये बने. शंकर जयकिसन ने बच्चों के लिये जितने भी गीत दिये वे हलके फुलके और बच्चों के अनेरी खुशी से भर दे वैसे बने हैं.

राज कपूर के निर्माणघर की फिल्म लेकिन राज कपूरने न तो उस में कोइ भूमिका की और न तो इस फिल्म का निर्देशन किया. वैसी फिल्म अर्थात् बूट पोलिश. इस फिल्म में बाल कलाकारों के साथ डेविड ने मुख्य भूमिका की थी. वैसे तो इस फिल्म के सभी गीत हिट हुए थे, लेकन एक गीत ऐसा था जो आजतक यादगार बना हुआ है. आप को भी अवश्य याद होगा- नन्हें मुन्ना बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है, मुठ्ठी में हैं तकदीर हमारी हमने किस्मत को बस में किया है... रफी औऱ आशा भोंसले के स्वर में यह गीत स्वाभाविक सहज ताजगी से भरा हुआ लगता है. अनेरे तरवराट से बच्चों को भर देता है यह गीत.



दत्ताराम के साथ इस गीत में शंकर जयकिसन ने एकाधिक ताल वाद्यों का समुचित उपयोग किया है. तर्ज और लय दोनों ही तरो ताजे लगते हें. वैसा ही एक विधायक (पोझिटिव) भावों से भरा गीत है ज्हॉन चाचा तुम कितने अच्छे, तुम्हें प्यार करते सब बच्चे... इस गीत की बंदिश किसी पाश्चात्य गीत की बंदिश पर आधारित होने का आक्षेप थोडे लोगों ने किया था. लेकिन जयकिसन ने ऐसा कुछ नहीं है कहकर आक्षेप को नकारा था.

इस फिल्म का एक गीत हमारे समाज की विषमता का प्रतिबिंब था. इस गीत की बात करते वक्त याद करना चाहिये कि गीतकार वही है, संगीतकार भी वही है और परदे पर के कलाकार भी वही है, लेकिन गीत सुनते ही हम गमगीन हो जाते हैं. यह कमाल शंकर जयकिसन के संगीत का था. वह गीत यह रहा- तुम्हारे हैं तुम से दया मांगते हैं, तेरे लाडलों की दुआ मांगते हैं.. शैलेन्द्र की कलम का जादु यहां हैं प्रथम पंक्ति में तुम्हारे शब्द है और तुरंत ही तेरे शब्द आता है.

प्रथम पंक्ति समाज को संबोधित है और दूसरी पंक्ति समाज के उपरांत परमात्मा को संबोधित है. समाज को कहते हैं तुम्हारे हैं तुम से दया मांगते हैं, परमात्मा को कहते हैं, तेरे लाडलों (सुखी-संपन्न लोग) की दुआ मांगते हैं... 

इसी फिल्म के लिये सरस्वतीकुमार दीपक के रचे गीत रात गयी और दिन आता है भी प्रेरणात्मक रहा. शंकर जयकिसन के लिये यह फिल्म एक प्रकार का चैलेंज था. फिल्म का कथानक यतीम बच्चों पर था और पूरी फिल्म बच्चों पर आधारित थी. यहां हीरो-हीरोईन की मुहब्बत या खलनायक जैसा कुछ भी नहीं था. फिल्म के सारे गीत बच्चों के लिये रचे गये थे.

बरसात, श्री 420 या अनाडी की तुलना में इस फिल्म का संगीत अलग लगता है और शंकर जयकिसन ने यह साबित कर दिया कि वे बच्चों के लिये भी सुंदर संगीत परोस सकते हैं. इस का अर्थ ऐसा नहीं है कि बडों को, बच्चों के मातापिता को यह संगीत पसंद नहीं आया था. आबालवृद्ध सभी को बूट पोलिश का संगीत भा गया था यह हकीकत है.

        


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