आशा पारेख, पद्मिनी या हेलन- इन के नृत्य गीतों को याद कीजिये

 शंकर जयकिसन-35



पिछले अध्याय में हम ने देखा कि किस तरह संगीतकार शंकर ने वैजयंती माला को एक नृत्य गीत के डान्स स्टेप्स दिखाये. शंकर जयकिसन के नृत्य गीतों की बात करते वक्त ऐसे दूसरे भी वाकये याद आयेंगे. खास कर के नृत्य में माहिर अभिनेत्रीयों के लिये शंकर जयकिसन ने स्वरबद्ध किये गीतों को याद कीजिये. आशा पारेख, पद्मिनी, वैजयंती माला और विशेष रूप में हेलन के गीत यहां याद करने चाहिये. इस में भी हेलन की तो बात ही निराली है. हेलन ने सभी प्रकार के नृत्यगीतों में अनोखा प्रदान किया है. 

शंकर जयकिसन के नृत्य गीत की बात करते समय खयाल में रहना चाहिये कि इन्हों ने शास्त्रीय, लोकनृत्य और पाश्चात्य शैली के नृत्य गीत सभी बहुत ही खूबीपूर्वक तैयार किये हैं. भैरवी आधारित गीतों की बात करते वक्त मैंने बताया था कि किस तरह आशा पारेख पर फिल्माये गये गीत परदे में रहने दो परदा ना उठाओ... (फिल्म शिकार) अऱबी शैली का गीत बनाया गया था.  

पाश्चात्य शैली के नृत्य गीत की बात करें तब यह द्रश्य याद कीजिये. आसमानी रंग के तरंगो से झूमता समंदर, आसपास हरियाली, गीत के ताल को सम्हालते हुए ताली बजा रहे खलनायक मदनपुरी  और प्राण और अभिनेत्री नंदा... इन दोनों के सामने नृत्य करते हुए समंदर में तैरने जा रही हेलन गा रही है इस दुनिया में जीना है तो सुन लो मेरी बात... फिल्म गुमनाम का यह गीत अत्य़ंत बेमिसाल बना है.

वैजयंती माला की बात करें तो सिर्फ एक फिल्म का उल्लेख जरूरी बन जाता है. फिल्म आम्रपाली. फिल्म की कथा पौराणिक-कोस्च्युम जैसी है और शंकर जयकिसन ने इस फिल्म के संगीत में शास्त्रीय और लोकसंगीत दोनों के समन्वय जैसा संगीत परोसा है. इस फिल्म के सभी गीत नृत्य गीत है. वैजयंती माला का किरदार क नृत्यांगना का होते हुए सभी गीतों में नृत्य की झलक है. किसी भी गीत को लीजिये- नाचो गाओ घूम मचाओ, आया मंगल त्यौहार... हो या नील गगन की छांव में दिन रैन गले से मिलते हैं... लीजिये. वैजयंती माला का मनोहर नृत्य और शंकर जयकिसन का संगीत मानो दुग्ध-शर्करा जैसा एक हो जाता है.

शंकर जयकिसन के संगीत से सजी और फिल्मों में दूसरी अभिनेत्रीयों के ऐसे नृत्य गीत प्रस्तुत हुए हैं. फिल्म बादल (मधुबाला), साधना (असली नकली) और पद्मिनी (जिस देश में गंगा बहती है). कभी कभी ऐसा भी हुआ है कि दो जवान दिल प्रेम करते हैं और प्रकृति नृत्य करती है, मोर नाचते हैं और पार्श्वभू में गीत बजता है. बहुत से गीत सुनते ही श्रोता-दर्शक झूमने लगता है. बरसात का बरसात में हम से मिले तुम सजन ऐसा गीत है. सुनते ही हमारा दिल मचल जाता है. नाचने का मन होता है.

इस तरह शंकर जयकिसन ने नृत्य गीतों में भी बहुत सारा वैविध्य दिया है और ऐसे गीत भी यादगार बने हैं. आहा आई मिलन की बेला... जैसे बहुत सारे नृत्य गीत संगीत प्रेमीयों को अभिभूत कर देता है. संगीत नहीं जानने वाला दर्शक भी सुनकर खुश हो जाता है. फिल्म देखते वक्त या रेडियो पर गीत सुनते वक्त लोग झूमते हैं. यह शंकर जयकिसन के संगीत का कमाल है.

      


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