हम आनेवाली पीढी के प्रतिनिधि संगीतकार हैं...

 शंकर जयकिसन-29



 'अवर इयर्स आर एट्युन्ड टु ध म्युझिक ऑफ टुमोरो, बोथ हियर एन्ड ओल ओवर ध वर्ल्ड, वी आऱ एशेन्श्यली मोडर्न म्युझिक मेकर्स एन्ड हेव ओलरेडी स्ट्रीवन टु कार्व अ न्यू म्युझिकल इडियम्स फोर मोडर्न ईन्डिया...' 1960 के दशक में जब शंकर जयकिसन का सूर्य मध्याह्न पर था तभी शंकर ने ईन्ग्रेजी अखबार टाईम्स ऑफ ईन्डिया को दिये हुए साक्षात्कार में कहा था. इस वक्तव्य का सारांश सिर्फ इतना है कि हम भविष्य में आनेवाली पीढी के प्रतिनिधि आधुनिक संगीतकार है... हमारे कान सिर्फ भारत में नहीं पूरी दुनिया में आनेवाले भावि संगीत को सुनने के आदि हो चूके हैं...

यह मिथ्या गर्वोक्ति नहीं है. यह सचोट हकीकत है. यदि आप शंकर जयकिसन की फिल्मोग्राफी पर द्रष्टि करेंगे तो इन्हों ने करीब करीब 180 फिल्मों को संगीत से सजाया है. हरेक फिल्म के सात से आठ गीतों का अंदाज लगायें तो इन्हों ने साढे तेरहसो से चौदहसो गीतों को स्वरबद्ध किया. प्रत्येक गीत को एकसौ प्रतिशत यादगार बनाने का पुरुषार्थ इन्हों ने किया. अब गौर फर्माइये. नित्य नूतन गीत देने के प्रयासों में शंकर जयकिसन ने करीब पचपन आवाज आजमायी है. 

लताजी से बात का आरंभ करें तो अपनी पहली फिल्म बरसात के सभी गीत लता की आवाज में हैं. बरसात की तीन अभिनेत्रीयां नर्गिस, नीम्मी और हवा में उडता जाये फेम जुनियर कलाकार बिमला, तीनों के लिये लताजी ने गाया है. तत्पश्चात् लताजी ने सब मिलाकर तीन पीढीयों की अभिनेत्रीयों को अपनी आवाज दी. शंकर जयकिसन ने लताजी उपरांत और कितने गायकों की आवाज आजमायी वह भी देखिये- आशा भोंसले, गीता दत्त, शमसाद बेगम, मुबारक बेगम, आरती मुखर्जी, अनुराधा पौडवाल, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर, चंद्राणी मुखर्जी, अलका याज्ञिक, दिलराज कौर, सुमन कल्याणपुर, सुष्मा श्रेष्ठा, कृष्णा कल्ले, शोभा गुर्टु, सुधा मल्होत्रा, प्रीति सागर, शारदा, सुलक्ष्णा पंडित और मधुबाला झवेरी.

पुरुष गायकों में मुहम्मद रफी, मूकेश, मन्ना डे, तलत महमूद, हेमंत कुमार, किशोर कुमार, महेन्द्र कपूर, जी एम दुर्रानी, रफी की मृत्यु के बाद मुहम्मद अझीझ, शब्बीर कुमार, सुरेश वाडकर, नीतिन मूकेश, मनहर, पंकज मित्रा, सुबीर सेन, सी एच आत्मा, एस पी बालासुब्रह्मण्यम, अपरेश लाहिरी, अमित कुमार, भूपीन्दर, पंडित भीमसेन जोशी और पंडित कृष्णाराव चौनकर.

गायकों की यह सूचि देने का मेरा उद्देश्य यह दिखाने का है कि शंकर जयकिसन कुछ नित्य नवीन करने की कोशिश में रहे. नीत नवीन प्रतिभा को मौका देने के लिये यह दोनों संगीतकार सदैव तत्पर रहे. वरिष्ठ कलाकारों के साथ युवा कलाकारों को भी आप मौका देते रहे. इस सूचि को एकबार फिर से पढिये. आप के ध्यान में एक बात अवश्य आयेगी कि इस सूचि मे अगली पीढी के गीता दत्त, शमसाद बेगम, जी एम दुर्रानी वगैरह भी हैं और नयी पीढी के मनहर, सुरेश वाडकर, अलका याज्ञिक आदि भी हैं. शास्त्रीय संगीत के वरिष्ठ कलाकार भी हैं. यह सूचि में और भी नाम आ सकते हैं.

कहने का तात्पर्य यह है कि शंकर जयकिसन सदैव कुछ नया कर दिखाने का प्रयास करते रहे. शंकर जयकिसन के एक सिनियर (अनुभवी या जैफ) साजिंदे ने उचित शब्दों में कहा, धे वेर कोन्स्टन्टली इन ध सर्च ऑफ न्यू टेलेन्ट एन्ड परफेक्शन... अर्थात् शंकर जयकिसन सदैव नयी प्रतिभा की और शत प्रतिशत श्रेष्ठ काम करने का आग्रह रखते थे.

और एक बात. जब शंकर जयकिसन ने फिल्म बरसात से अपनी कारकिर्द का आरंभ किया तब फिल्म संगीत के साथ शास्त्रीय संगीत के विश्वविख्यात कलाकार भी जुडे हुए थे जैसे कि पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, उस्ताद अल्ला रख्खा, उस्ताद अहमद जान थीरकवा, पंडित पन्नालाल घोष, पंडित रामनारायण वगैरह.

लेकिन जैसे कि शंकर जयकिसन ने टाईम्स ऑफ ईन्डिया के साक्षात्कार में कहा, यह दोनों उस समय की और आनेवाले समय की युवा पीढी के प्रतिनिधि थे, इन दोनों ने पहली ही फिल्म से अपनी अलग पहचान बनायी जो आखिर तक बनाये रखी.


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