शंकर जयकिसन-15
शंकर जयकिसन के संगीत का आस्वाद लेने से पहले एक और बात समज लेना जरूरी है. आसमानी आंखें और बहुत ही खूबसुरत दीखनेवाले राज कपूर आला दरजे का बिझनेसमेन था. खुद को जो चाहिये वह कैसे हांसिल करना वो राजजी बराबर जानते थे. शंकर जयकिसन भी राज की यह खूबी पहचान गये थे. बरसात फिल्म के एक गाने में ढोलकवादक अनुपस्थित था तब राजजीने दत्ताराम से काम करवा लिया था. आवारा के घऱ आया मेरा परदेशी गीत के लिये राजजी ने लाला गंगावणे को बुलवा लिया था. शंकर जयकिसन राजजी की यह विशेषता से वाकिफ हो चूके थे.
अब गौर फरमाइये. राज कपूर की शुरु की फिल्मो में उन के गीत मन्ना डेने गाये थे. महबूब खान की अंदाज फिल्म में संगीतकार नौशाद ने दिलीप कुमार के लिये मूकेश के कंठ का उपयोग किया था. राज कपूर ने फौरन मूकेश का अपने लिये ले लिया और बाद में मूकेश राज कपूर का हमेशा का पार्श्वगायक बन गये. राजजी का यह निर्णय एक बिझनेसमेन जैसा था. अपने व्यापार में किस तरह मुनाफा बढाया जाय ये बात हर एक व्यापारी ध्यान में रखता है.
मन्ना डेने शिकायत के सूर में शंकर जयकिसन को पूछा था कि आप अब राजजी के लिये मेरी आवाज का इस्तेमाल क्यूं नहीं करते, मेरे पास क्यूं नहीं गवाते ? इन दोनों ने जवाब में कहा था, यह निर्णय हमारा नहीं है, राज जी का है. बहेतर है आप राजजी से बात करें. बडे लंबे अरसे के बाद मेरा नाम जोकर में राजजी ने ए भाई जरा देख के चलो.. गीत में मन्ना डे की आवाज को मौका दिया था.
ऐसा ही राजजी ने वैजयंती माला के साथ किया. आप को याद होगा, 1960 के दशक में वैजयंती मालाने दिलीप कुमार के साथ बहुत फिल्में की थी. मिसाल के तौर पर बी आऱ चोपरा की नया दौर, साउथ के निर्माता की पैगाम, खुद दिलीप कुमार की गंगा जमुना, लीडर, संघर्ष इत्यादि. राजजी ने बडी हुशियारी से वैजयंती माला को अपनी फिल्म संगम के लिये राजी कर ली. वैजयंती और दिलीप कुमार की जोडी खंडित हो गयी. संगम के बाद वैजयंती माला डॉक्टर बाली के साथ ब्याही और दिल्ही चली गई.
इस तरह पहले मूकेश को दिलीप कुमार से अलग किया. बाद में वैजयंती माला को अपनी तरफ खींच लिया. और एक किस्सा है. यदि आप को याद तो देव आनंद ने अपनी आत्मकथा में यह किस्सा प्रस्तुत किया है. देव आनंद की खोज समान अभिनेत्री जीनत अमान देव आनंद के साथ हरे राम हरे कृष्ण में पहलीबार नजर आयी थी. राजजी ने कब उसे अपनी हीरोइन बनाली उस का पता तक देव आनंद को नहीं था.
उन्हों ने अपनी आत्मकथा में लीखा है कि जीनत को राज कपूरने जिस आत्मीयता से कीस की वह देखकर मैं भोंचक्का रह गया. मुझे इस बात से बडा सदमा पहुंचा कि जीनत अब राज की हीरोइन है. जीनत को राज कपूरने सत्यम् शिवम् सुंदरम में प्रमुख भूमिका में प्रस्तुत की थी.
पारिवारिक समस्या में उलझे गीतकार शैलेन्द्र को राज कपूरने कैसे अपने लिये गीत लीखने पर राजी कर लिया था यह बात भी शंकर जयकिसन ने अपनी आंखों से देखी थी.
राज कपूर के पुत्र अभिनेता रिशि कपूर ने भी अपनी आत्मकथा खुल्लंखुल्ला में राजजी की अपनी हीरोइनों के साथ जुडने की बात लीखी है. शंकर जयकिसन राज कपूर में छीपे बिझनेस मेन को अच्छी तरह पहचान चूके थे. फिल्म सृष्टि में ऐसी गोसिप चल रही है कि परदे पर भले शंकर जयकिसन का नाम आ रहा हो, अपनी फिल्मों का संगीत खुद राज कपूर बनाते हैं. शंकर जयकिसन की कारकिर्द के लिये भविष्य में यह बात अवरोध समान बन सकती थी. अतैव इन दोनों ने ऐसा तय कर लिया था कि राज कपूर से बात कर के आर के बैनर के अतिरिक्त दूसरे फिल्म निर्माताओं के लिये भी काम करेंगे.
Comments
Post a Comment