श्री संदीप परीख पंडितजी को मेरा परिचय देते हुए.
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पतियाला-कासुर घराने के दिग्गज पंडित अजय चक्रवर्तीजी कहते हैं...
‘तब तो आप के साथ बातें करने में और भी आनंद आयेगा...’ पतियाला-कासुर घराने के जगमशहूर शास्त्रीय गायक पंडित अजय चक्रवर्तीजीने कहा, जब उन के यजमान अहमदाबाद के चार्टर्ड एकाउन्टन्ट श्री संदीप परीखने उन से मेरा परिचय दिया. ‘अजीतजी बहुत अच्छा लीखते हैं और संगीत विशारद है.’ सुनते ही पंडितजी खुश हुए. कहने लगे, यह तो बहुत अच्छी बात है. कभीकभार ऐसे मिडियमेन मील जातें हैं जिन्हें भारतीय संगीत के बारे में अधिक जानकारी नही होती है. फिर ऐसे उलटसुलट प्रश्न पूछने लगते हैं. आप तो संगीत जानते हैं, अतैव मुझे भी बात करते हुए खुशी होगी. आईये, हम बैठकर बातें करते हैं...
आदरणीय पंडितजी के साथ लेखक और पीछे श्री मीतेश कडिया
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अहमदाबाद में आजकल इतनी घने ठंडे मौसम में भी ‘सप्तक संगीत समारोह’ संगीत प्रेमीयों का मिलनस्थान बना हुआ है. देश के चोटी के शास्त्रीय गायक-वाद और नर्तक यहां पधारे हुए हैं. हम जैसे संगीत रसिकों के लिये यह छप्पनभोग जैसा अवसर है. राजस्थान के श्रीनाथद्वारा में श्रीनाथजी (वैष्णवों के ठाकुरजी) को 56 व्यंजन परोसे जाते हैं उस उत्सव को छप्पनभोग कहते हैं. हमारे लिये भी सप्तक संगीत समारोह छप्पनभोग है,
वाह् वाह् क्या बात कह दी, आपने पंडितजी. बहुत खूब....!
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दो दिन पहले पंडित अजय चक्रवर्तीने कर्णाटक संगीत से उत्तर भारतीय संगीत में समाविष्ट किया गया राग कलावती प्रस्तुत किया था. उसे सुनकर मैंने तय कर लिया था कि पंडितजी से मिलना चाहिये. मैंने उन के यजमान श्री संदीप परीखजी से इस बारे में बात की.
संदीपजीने कहा, कल सुबह बारह साडे बारह को आ जाइये. पंडितजी से मुलाखत करवा देंगे. हम तो खुशी के मारे झूम ऊठे. मेरे साथ ‘गुजरात समाचार’ के युवा रिपोर्टर मीतेश कडिया और तसवीरकार सुरेश मिस्त्री भी थे. संदीपजी के घर पहुंचे. करीब एक डेढ घंटे तक पंडितजी से संगीत के विविध पहलु पर बातचीत हुई. पंडितजी भी प्रसन्न थे और हम भी संतुष्ट थे. प्रस्तुत है तसवीरी झलक. थेंक्यु संदीपभाई, थेंक्यु सुरेशभाई....थेंक्यु पंडितजी...
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पतियाला-कासुर घराने के दिग्गज पंडित अजय चक्रवर्तीजी कहते हैं...
‘तब तो आप के साथ बातें करने में और भी आनंद आयेगा...’ पतियाला-कासुर घराने के जगमशहूर शास्त्रीय गायक पंडित अजय चक्रवर्तीजीने कहा, जब उन के यजमान अहमदाबाद के चार्टर्ड एकाउन्टन्ट श्री संदीप परीखने उन से मेरा परिचय दिया. ‘अजीतजी बहुत अच्छा लीखते हैं और संगीत विशारद है.’ सुनते ही पंडितजी खुश हुए. कहने लगे, यह तो बहुत अच्छी बात है. कभीकभार ऐसे मिडियमेन मील जातें हैं जिन्हें भारतीय संगीत के बारे में अधिक जानकारी नही होती है. फिर ऐसे उलटसुलट प्रश्न पूछने लगते हैं. आप तो संगीत जानते हैं, अतैव मुझे भी बात करते हुए खुशी होगी. आईये, हम बैठकर बातें करते हैं...
आदरणीय पंडितजी के साथ लेखक और पीछे श्री मीतेश कडिया
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अहमदाबाद में आजकल इतनी घने ठंडे मौसम में भी ‘सप्तक संगीत समारोह’ संगीत प्रेमीयों का मिलनस्थान बना हुआ है. देश के चोटी के शास्त्रीय गायक-वाद और नर्तक यहां पधारे हुए हैं. हम जैसे संगीत रसिकों के लिये यह छप्पनभोग जैसा अवसर है. राजस्थान के श्रीनाथद्वारा में श्रीनाथजी (वैष्णवों के ठाकुरजी) को 56 व्यंजन परोसे जाते हैं उस उत्सव को छप्पनभोग कहते हैं. हमारे लिये भी सप्तक संगीत समारोह छप्पनभोग है,
वाह् वाह् क्या बात कह दी, आपने पंडितजी. बहुत खूब....!
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दो दिन पहले पंडित अजय चक्रवर्तीने कर्णाटक संगीत से उत्तर भारतीय संगीत में समाविष्ट किया गया राग कलावती प्रस्तुत किया था. उसे सुनकर मैंने तय कर लिया था कि पंडितजी से मिलना चाहिये. मैंने उन के यजमान श्री संदीप परीखजी से इस बारे में बात की.
संदीपजीने कहा, कल सुबह बारह साडे बारह को आ जाइये. पंडितजी से मुलाखत करवा देंगे. हम तो खुशी के मारे झूम ऊठे. मेरे साथ ‘गुजरात समाचार’ के युवा रिपोर्टर मीतेश कडिया और तसवीरकार सुरेश मिस्त्री भी थे. संदीपजी के घर पहुंचे. करीब एक डेढ घंटे तक पंडितजी से संगीत के विविध पहलु पर बातचीत हुई. पंडितजी भी प्रसन्न थे और हम भी संतुष्ट थे. प्रस्तुत है तसवीरी झलक. थेंक्यु संदीपभाई, थेंक्यु सुरेशभाई....थेंक्यु पंडितजी...
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