शंकर जयकिसन-13 17-05-19
फिल्म संगीत के शहनशाह माने गये शंकर जयकिसन के बारे में अब बात आगे बढाने से पहले इस कहानी का और एक पहलु भी समझ लेना जरूरी है. आसमानी आंखें और सुहावने व्यक्तित्व से भऱपुर अभिनेता राज कपूर जितना अच्छा अभिनेता और फिल्म सर्जक था उतना ही चलाख व्यापारी भी था. राज साहब की इस खूबी से शंकर जयकिसन बहुत जलदी परिचित हो चूके थे. फिल्म बरसात के एक रेकोर्डिंग में ढोलकवादक अनुपस्थित था तब शंकर के जरिये दत्ताराम का प्रवेश हुआ और आवारा के घर आया मेरा परदेशी गीत में ढोलकीवादक लाला गंगावने का प्रवेश हुआ.
अब पढिये गौर से. महबूब खान की फिल्म अंदाज में संगीतकार नौशादने मूकेश को दिलीप कुमार की भूमिका के लिये गायक के रूप में पसंद किया था. राज कपूरकी शुरु की फिल्मों में मन्ना डेने राज साहब के लिये गाया था. वे सभी गाने हिट हुए थे. लेकिन राज साहबने बडी चलाखी से मूकेश को अपनी आवाज के रूप में करारबद्ध कर लिया. इतना ही नहीं, राज कपूरने उसे अपनी आत्मा करार किया. यह एक काबिल-ए-दाद व्यापारी कदम था. अब दिलीप कुमार की फिल्मों के लिये संगीतकारों को वैकल्पिक गायक ढूंढना आवश्यक हो गया.
मन्ना डे ने एकाधिक बार शंकर जयकिसन से शिकायत की थी की अब आप राजजी के लिये मुझ से गवाते क्यों नहीं ? शंकर जयकिसन ने सविनय कह दिया कि यह निर्णय हमारा नहीं, राज साहब का है. उन से बात करो. अलबत्ता, मेरा नाम जोकर में इन दोनों ने मन्ना डे की आवाज में एक गीत प्रस्तुत किया था, ए भाई जरा देख के चलो...
ऐसा ही कुछ वैजयंती माला के साथ भी हुआ. हिन्दी फिल्मों का चाहनेवाला हर कोइ जानता है कि वैजयंती मालाने अेक से ज्यादह फिल्म दिलीप कुमार के साथ की. जैसे कि मधुमती, नया दौर, गंगा जमना, लीडर, ईत्यादि. राज कपूरने बडी आसानी से वैजयंती को अपनी तरफ खींच लिया और संगम फिल्म के लिये साईन कर ली. दिलीप कैम्प से और एक विकेट गीरा. संगम के बाद वैजयंती माला का विवाह डॉक्टर बाली के साथ हुआ और वह फिल्म कारकिर्द छोडकर नई दिल्ही चली गयी.
हमने शुरू से एक सिद्धांत अपनाया था कि इस कहानी में गोसिप से दूर रहेंगे. अतैव यहीं रुकते हैं. जिन को ज्यादह जानकारी चाहिये वे रिशि कपूर की आत्मकथा खुल्लंखुल्ला या फिर देव आनंद की आत्म कथा रोमान्सिंग वीथ लाईफ पढ सकते हैं. देव साहब ने एक किस्सा लिखा है कि किस तरह हरे राम हरे कृष्णा फिल्म के बाद वे झीनत अमान की और खिंचते चले थे और किस तरह राज कपूर ने झीनत को अपनी तरफ आकर्षित किया. झीनत ने राज साहब की सत्यम् शिवम् सुंदरम् फिल्म की थी. झीनत देव साहब की शोध थी और उन्हों ने झीनत को हरे राम हरे कृष्णा में पहली बार चमकाया था.
अपनी कारकिर्द का आरंभ भले शंकर जयकिसन ने राज कपूर के साथ किया, वे बहुत जल्द यह बात पहचान चूके थे कि राज कपूर आला दरजे का व्यापारी है. उसे जिस चीज या व्यक्ति की आवश्यकता हो, उसे वह किसी भी तरह हासिल कर लेता है. आरंभ में फिल्मों के लिये गीत लिखने का इनकार करने वाले शैलेन्द्र को जब पैसों की आवश्यकता थी तब राज कपूरने उन्हें अपनी फिल्मों के लिये गीत लिखने पर राजी कर लिया था. इस घटना से भी शंकर जयकिसन वाकिफ थे.
और एक बात यहां ठीक से समझ लेना चाहिये. आरंभ से ही ऐसी खरीखोटी बातें फैलने लगी थी कि अपनी फिल्मों का संगीत राज कपूर खुद तैयार करते थे. ऐसी अफवाहें शंकर जयकिसन की कारकिर्द को भारी नुकसान पहुंचा सकती थी. अतैव इन्हों ने कुनेहपूर्वक फ्री लान्सींग करने की ईजाजत राज कपूर से प्राप्त कर ली,
यह निर्णय़ इन दोनों के लिये बहुत महत्तवपूर्ण था. यह ऐसा दौर था जब हर बडे फिल्म सर्जक के अपनी अपनी पसंद के मौशिकार थे. ए आर कारदार और महबूब खान के लिये नौशाद थे, देव आनंद के लिये एस डी बर्मन और जयदेव थे, बी आर चोप्रा के पास रवि थे, गुरु दत्त भी एस डी बर्मन से अपना काम करवाते थे, फिल्मीस्तान के पास ओ पी नय्यर और ऊषा खन्ना थे... ऐसे दौर में फ्री लान्सींग करना शंकर जयकिसन के लिये लाभदायी साबित हुआ.
इन दोनों ने अपने काम से साबित कर दिया कि वे राज कपूर के अलावा दूसरों के लिये भी सुपरहिट संगीत दे सकते हैं. सुपरहिट संगीत परोसने का सातत्य (अंग्रेजी में consistency) इन दोनों ने सदैव अपने साथ रखा था. राज कपूर के अतिरिक्त शम्मी कपूर, राजिन्दर (ज्युबिली ) कुमार, देव आनंद, गुरु दत्त, मनोज कुमार इत्यादि जो भी हीरोझ की फिल्में इन दोनों को मिली, उस में इन दोनों ने बहेतरीन काम कर दिखाया.
सब से बडी बात तो यह थी कि जिस अदाकार की फिल्म में इन्होंने संगीत परोसा उस अदाकार की ईमेज और उन के कायमी संगीतकारों (जैसे कि देव आनंद के लिये एस डी बर्मन)ने जैसा संगीत परोसा था ऐसा ही संगीत इन दोनों ने भी परोसा और कामियाब हुए.
नौशाद के बाद मुहम्मद ऱफी को वडा अवसर भी इन दोनों ने दिया. आप शम्मी कपूर और कोमेडियन महेमूद के गानों को याद कीजिये. आप इस बात को यथार्थ पायेंगे. सभी गीत का संगीत तरोताजा और मधुर था. अब के किस्तों में हम शंकर जयकिसन के संगीत सर्जन का आस्वाद लेंगे.
Very nice information Ajit Sir, showing Raj Kapoor's real , inner character. Which is a must to know for every music fan.
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